सोमवार, 22 अक्टूबर 2018
शुक्रवार, 28 सितंबर 2018
शनिवार, 22 सितंबर 2018
शुक्रवार, 21 सितंबर 2018
प्रौद्योगिकी का भविष्य : निकष एवं इमली सहित अन्य प्रौद्योगिकी उत्पाद
प्रौद्योगिकी का भविष्य:निकष एवं इमली सहित अन्य प्रौद्योगिकी उत्पाद
11वें विश्व हिंदी सम्मेलन के लिए तैयार प्रस्तुति
प्रयोजनमूलक हिंदी: वैश्विक रोजगार की संभावनाएँ - प्रो.वशिनी शर्मा
प्रयोजनमूलक हिंदी: वैश्विक रोजगार की संभावनाएँ
प्रो.वशिनी शर्मा
पूर्व प्रोफेसर ,केंद्रीय हिंदी संस्थान
आगरा
इस युग में भाषा का प्रयोजनपरक आयाम हमारी व्यक्तिगत और सामाजिक आवश्यकताओं से जुड़ गया है । प्रयोजनपरक हिंदी के प्रेरणास्रोत एवं प्रतिष्ठाता पद्मभूषण श्री मोटूरि सत्यनारायण के अनुसार “जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपयोग में लाई जानेवाली हिंदी ही प्रयोजनमूलक हिंदी है।“
बाज़ारवाद और उपभोक्तावाद के इस दौर में प्रयोजनपरक हिंदी का दायरा व्यापक और विशद होता जा रहा है ।
भाषा के प्रयोजनपरक आयाम का संबंध हमारी सामाजिक आवश्यकताओं और जीवन की उस व्यवस्था से होता है जो व्यक्तिपरक हो कर भी समाज सापेक्ष होता है और इस आयाम का प्रयोग किसी प्रयोजन विशेष के संदर्भ में होता है ।विभिन्न विषयों,व्यवस्थाओं और रोजगार के लिए सेवा माध्यम के रूप में हिंदी को मूल्यांकित और प्रतिष्ठित करने का श्रेय पद्मभूषण श्री मोटूरि सत्यनारायण को जाता है जिनके अनुसार “जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपयोग में लाई जानेवाली हिंदी ही प्रयोजनमूलक हिंदी है । अध्यक्षीय भाषण में श्री मोटूरि जी ने इस बात पर बल दिया कि ‘एक जमाने में भाषाई प्रयोजन बहुत सीमित होते थे इसलिए भाषा की वृद्धि भी सर्वांगीण नहीं बन पाती थी ।औद्योगिक क्रांति के बाद विज्ञान तथा तकनीकी अनुप्रयुक्तता के दौरान भाषा सर्वांगीणता ही नहीं प्राप्त करना चाहती बल्कि सर्व सामर्थ्य की वाहिका भी बनना चाहती है ।देश की इन सभी समृद्ध भाषाओं के संपर्क और समृद्धि के बीच में एक अखिल भारतीय संपर्क भाषा का स्थान हिंदी को इन सभी समृद्ध भाषाओं के संसर्ग से प्राप्त होगा ।यह रूप समाज के प्रयोजनों से जुड़ता हुआ जो निखरेगा वही उसके लिए स्थाई रूप से सार्वदेशिक भाषा की नींव डालेगा । इस मंडल ने इसी दृष्टिकोण को भाषाविदों एवं भाषा प्रेमियों के बीच में प्रस्तुत करने के उद्देश्य से 1974 में प्रयोजनमूलक हिंदी की एक संगोष्ठी का आयोजन दिल्ली में किया । (संस्थान बुलेटिन,श्री मोटूरि सत्यनारायण ,1974)
श्री मोटूरि सत्यनारायण ने हिंदी प्रचार के तीन दायरे भी निर्धारित किए (1993)-“उसका पहला दायरा संप्रेषण का है ,इसकी संपन्नता और क्षमता,स्थिति और प्रसंग के अनुसार होगी,दूसरा भिन्न-भिन्न प्रयोजनों को साधने के लिए भाषाई –संप्रेषण ।यह दायरा जितना विस्तृत है उतना ही स्थिति के अनुसार सीमित भी है ।तीसरा साहित्य का है जिसकी विविधता के लिए अत्यधिक विश्लेषण की जरूरत है ।“
श्री मोटूरि सत्यनारायण जी ने हिंदी की महत्वपूर्ण प्रयोजनीय शैलियों को छः प्रकारों में बाँटा है –(वर्मा,1976)
1.सामाजिक संप्रेषण की शैली
2.सामाजिक शैली (सोशलीज़)
3.व्यापारिक-वाणिज्य शैली (कमर्शलीज़)
4.कार्यालयी शैली (ऑफीशलीज़)
5.तकनीकी शैली(तकनीकेलीज़)
6.सामान्य साहित्य
प्रयोजनमूलक हिन्दी आज इस देश में बहुत बड़े फलक और धरातल पर प्रयुक्त हो रही है। केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच संवादों का पुल बनाने में आज इसकी महती भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। आज इसने एक ओर कम्प्यूटर, टेलेक्स, तार, इलेक्ट्रॉनिक, टेलीप्रिंटर, दूरदर्शन, रेडियो, अखबार, डाक, फिल्म और विज्ञापन आदि जनसंचार के माध्यमों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है, तो वहीं दूसरी ओर शेयर बाजार, रेल, हवाई जहाज, बीमा उद्योग, बैंक आदि औद्योगिक उपक्रमों, रक्षा, सेना, इन्जीनियरिंग आदि प्रौद्योगिकी संस्थानों, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों, आयुर्विज्ञान, कृषि, चिकित्सा, शिक्षा, ए० एम० आई० के साथ विभिन्न संस्थाओं में हिन्दी माध्यम से प्रशिक्षण दिलाने कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, सरकारी, अर्द्धसरकारी कार्यालयों, चिट्ठी-पत्री, लेटर पैड़, स्टॉक-रजिस्टर, लिफाफे, मुहरें, नामपट्ट, स्टेशनरी के साथ-साथ कार्यालय-ज्ञापन, परिपत्र, आदेश, राजपत्र, अधिसूचना, अनुस्मारक, प्रेस–विज्ञाप्ति, निविदा, नीलाम, अपील, केबलग्राम, मंजूरी पत्र तथा पावती आदि में प्रयुक्त होकर अपने महत्व को स्वतः सिद्ध कर दिया है। कुल मिलाकर यह कि पर्यटन बाजार, तीर्थस्थल, कल-कारखाने , कचहरी आदि अब प्रयोजनमूलक हिन्दी की जद में आ गए हैं। हिन्दी के लिए यह शुभ है ।
वैश्विक संदर्भ में हिंदी
वैश्विक संदर्भ में हिंदी अब साहित्यिक अध्ययन और अध्यापन की सीमाओं से बाहर आ कर विभिन्न प्रौद्योगिकीय और व्यावसायिक क्षेत्रों में अपना स्थान बना चुकी है इन दिनों देश में ही नहीं विदेश में भी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में हिंदी (अन्य भाषाएँ) की व्यावहारिक कार्यपरक कुशलता पर बल दिया जा रहा है | भारतीय व्यावसायिक जगत में अपने व्यक्तियों को कार्यक्षम बनाने की दृष्टि से बिज़नेस हिंदी के पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं । किसी संस्था या सरकारी नौकरी के अतिरिक्त अनेक क्षेत्र ऐसे हैं जिन में हिंदी में कार्य कुशलता वैश्विक स्तर की स्व-रोजगार की संभावनाओं के लिए नए दरवाजे खोल देगी । यहाँ तक कि हिंदी के वैश्विक प्रचार-प्रसार और अध्ययन को भी बल मिलेगा और हमारे सभी छात्र हिंदी को अपने रोजगार के लिए भी उपयोगी बना सकेंगे ।
स्व-रोजगार के दो क्षेत्र हो सकते हैं-
अ. भाषा परक ब. कौशल परक
भाषापरक स्व-रोजगार
ऑन लाइन हिंदी शिक्षण के कई निजी पाठ्यक्रम स्व -रोजगार की दिशा में महत्वपूर्ण वैश्विक प्रयास हो सकते हैं ।
संचार -सूचना प्रौद्योगिकी में दिनों-दिन बढ़ रही हिंदी की उपयोगिता और अनिवार्यता अधिक से अधिक कार्य-सक्षम युवाओं को रोजगार दिला सकेगी।
जन संचार माध्यमों में अवसर
सभी जन संचार माध्यमों में- फिल्मी या गैर फिल्मी सभी कार्यक्रमों में एंकरिंग या कार्यक्रम संचालन/ संयोजन के लिए हिंदी की अनिवार्यता और उपयोगिता हर तरह से सिद्ध हो चुकी है । चाहे नृत्य,संगीत,गायन की प्रतियोगिताओं के रीयलिटी शोज़ हो या सम्मान / पुरस्कार वितरण समारोह –हिंदी की कुशल संप्रेषणीयता के बिना ये सफल हो ही नहीं सकते । इनके लिए हिंदी में अभिव्यक्ति परक प्रशिक्षण की ज़रूरत होगी ताकि रोजगार के नए द्वार खुले |
मीडिया और विज्ञापन
स्क्रिप्ट लेखन, एनिमेशन,गीत लेखन और कंप्यूटर का ज्ञान स्व-रोजगार के मोहक अवसर प्रदान करता है।
हिन्दी में आकर्षक और प्रभावी विज्ञापन तैयार करने के लिए युवाओं की मांग बढ़ी है। प्रसून जोशी जैसे कई लेखकों ने विज्ञापन की दुनिया में एक अलग पहचान कायम की है। विज्ञापन का मनमोहक जगत हिंदी में कुशल और सृजनात्मक संभावनाओं को निमंत्रण देता है और सभी लोकप्रिय कार्यक्रमों में बार-बार दिखाए जानेवाले इन विज्ञापनों में हर कंपनी के करोडों का वारा-न्यारा होता है।
पर्यटन: चिकित्सा और संस्कृति
भारत वैसे भी विश्व प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल ताजमहल के कारण पर्यटन का आकर्षण केंद्र बना हुआ है।इतना ही नहीं हिंदू और बौद्ध धर्मावलंबी देश अपनी धार्मिक आस्था के कारण भी भारत को पर्यटन का केंद्र मानते हैं ।
पर्यटन में व्यवस्थित प्रबंधन और द्विभाषी कुशल गाइड और आशु अनुवादक का कार्य हिंदी में रोजगार की अनंत संभावनाएँ जगाता है। इतना ही नहीं मेडिकल टूरिज्म,सांस्कृतिक पर्यटन आदि में हिंदी के ज्ञान का वैश्विक दृष्टि से ब-खूबी इस्तेमाल हो सकता है।
अतिथि लेखन : कमाई का नया साधन
इंटरनेट पर कंटेन्ट राइटिंग और अनुवाद के लिए भी हिन्दी के विशेषज्ञों और भाषाविदों की जरूरत बढ़ाई है।व्यापार लेखन की विशिष्ट जटिलता इस कार्य को बहुत ही चुनौतीपूर्ण बनाती है, और पेशेवर लेखकों और शोधकर्ताओं के लिए अवसरों का एक नया प्रवेश द्वार खोलती है।
बिजनेस और कॉरपोरेट लेखन पूरी तरह से अलग क्षेत्र है। व्यावसायिक प्रयोजनों के लिए सामग्री लेखन या सर्वर कंपनियों की जरूरत के लिए , आपरेशन क्षेत्रों के लिए पर्याप्त ज्ञान के साथ ही उद्योग का भी उचित ज्ञान लाभकारी होगा।
स्क्रिप्ट और कंटेन्ट लेखन
टीवी सीरियल हो, फिल्म की दुनिया, विज्ञापन संस्थाएं, कोचिंग सेंटर, प्रकाशन संस्थान या अन्य निजी कंपनियां -अपने यहां स्क्रिप्ट लेखन और कंटेन्ट राइटिंग के लिए हिन्दी में ढेरों अवसर मुहैया करा रही हैं। बॉलीवुड में इन दिनों स्क्रिप्ट लेखकों की अच्छी-खासी मांग है।
मंडलियों / ट्रुप का गठन और विदेश में शोज़
टीवी सीरियल हो, फिल्म की दुनिया, विज्ञापन संस्थाएं, कोचिंग सेंटर, प्रकाशन संस्थान या अन्य निजी कंपनियां -अपने यहां स्क्रिप्ट लेखन और कंटेन्ट राइटिंग के लिए हिन्दी में ढेरों अवसर मुहैया करा रही हैं। बॉलीवुड में इन दिनों स्क्रिप्ट लेखकों की अच्छी-खासी मांग है।
खाना पकाने (कुकिंग) के कार्यक्रम
टीवी के विभिन्न चैनल खाना ,नाश्ते , मिठाई और विभिन्न व्यंजनों के हिंदी कार्यक्रमों में बनाने की विधि ,सामग्री और प्रस्तुति में रोचकता और विविधता लाने का पूरा प्रयास करते हैं।
इन कार्यक्रमों में हिंदी के जानकार लोगों के लिए रोजगार के अनेक अवसर हैं एंकर के रूप में भी और प्रस्तुति के लिए भी। कई कार्यक्रम जाने-माने होटलों के प्रसिद्ध शेफ़ के अलावा गृहिणियों को भी अपनी कुशलता दिखाने का अवसर देता है।अधिकांश कार्यक्रम हिंदी में प्रस्तुत होते हैं पर सामग्री का उल्लेख कभी-कभी अंग्रेज़ी में भी किया जाता है।
टेलीशॉपिंग के कार्यक्रम
टेलीमार्केटिंग और टेलीशॉपिंग आज टीवी का बहुचर्चित कार्यक्रम है और कई चैनल इस कार्यक्रम के प्रसारण का समय पहले से निर्धारित करते हैं ताकि उपभोक्ता को ऑर्डर देने में सुविधा हो सके ।
इंफोमर्शियल ( infomercials) ऐसे टेलीविज़न कार्यक्रम हैं जो किसी लोकप्रिय कार्यक्रम के दौरान दिखाए जाते है |विज्ञापन के अन्य प्रकारों की तरह इनमें भी कथ्य व्यावसायिक उद्देश्य लिए होता है जो प्रायोजक के दृष्टिकोण और लाभ को प्रस्तुत करता है |इंफोमर्शियल अक्सर वास्तविक टेलीविज़न कार्यक्रम की तर्ज़ पर ही बनते हैं जैसे टॉक शोज़ और साक्षात्कार जो विज्ञापन जैसे नहीं लगते।
इन कार्यक्रमों में प्रस्तुति के लिए हिंदी अभिव्यक्ति में कुशल और आकर्षक नौजवानों की आवश्यकता होती है अतः यह भी रोजगार का अच्छा क्षेत्र है।
निजी व्यवसायिक शिक्षण केंद्र
कई व्यवसायिक पाठ्यक्रमों और भारत सरकार के विभिन्न प्रशासनिक पदों के लिए प्रशिक्षण के दौरान हिंदी एक विषय की तरह लेनी होती है।कई व्यवसायिक पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षा के निजी कोचिंग केंद्र जैसे PMT, B.Tech, MBA ,IAS,IPS ,NDA, CDS CA,CS आदि की पढ़ाई में अध्यापक का हिंदी ज्ञान सहायक ही होगा क्योंकि कई प्रदेशों के छात्र अंगेज़ी में दक्ष न होने पर विषय को हिंदी माध्यम से पढ़ना पसंद करते हैं। इन केंद्रों में विभिन्न विषयों में दक्ष हिंदी अध्यापकों की आवश्यकता होगी ही।
परामर्शदाता (कौंसलर)
स्व-रोजगार के अन्य आधुनिक क्षेत्र हैं जिन्हें जनसंचार माध्यमों ने अनेक अवसर दिए हैं चाहे ई-अख़बार हों या अन्य कोई इलेक्ट्रॉनिक माध्यम। एक स्तंभ या लेख अवश्य इन से संबंधित समस्याओं और परामर्श पर अवश्य केंद्रित होता है।इन दिनों टीवी चैनलों पर परामर्श संबंधी अनेक कार्यक्रम प्रसारित होते हैं जैसे-व्यवसाय /शिक्षा संबंधी (कैरियर) ,वैवाहिक समस्याएँ,पारिवारिक समस्याएँ,चिकित्सा संबंधी समस्याएँ, वित्त संबंधी , वाक चिकित्सा ,स्वास्थ्य , सौंदर्य और फिटनेस ,गृहसज्जा , गृहनिर्माण आदि।
धार्मिक प्रवचन और ज्योतिष
हमारे देश के अधिकांश टीवी चैनलों पर कई –कई बार खासकर सुबह प्रवचन प्रसारित होते हैं जिनके दर्शक कम नहीं होते खास कर महिलाएँ ।
इसी तरह हर राशि के व्यक्तियों को उनके भविष्य की जानकारी दी जाती है और उत्सुकतावश लोग इन्हें देखते हैं। इसे तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टि से अपनाया जाए तो यह भी स्व-रोजगार का क्षेत्र बन सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय खेल
देश में एशियाड , कॉमनवेल्थ और ओलंपिक खेलों के दौरान हर चैनल पर समाचार के अलावा ढेर सारे खेल संबंधी चैनल लगातार सीधा प्रसारण ,पुनःप्रसारण ,परिचर्चा ,साक्षात्कार के कर्यक्रम प्रसारित होते हैं।
इसके अतिरिक्त क्रिकेट जैसा सदाबहार खेल साल भर विभिन्न रूपों में सबको व्यस्त रखता है - कभी टेस्ट मैच ,कभी IPL , कभी वन-डे कभी और 20-20 । आजकल अन्य कई खेलों के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रसारणों की व्यापकता और इसके जुड़े वित्तीय पक्ष एक चमत्कार से कम नहीं हैं।
अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय विभिन्न खेलों में हिंदी में विशेषज्ञ वक्ता , कमेंट्रेटर और परिचर्चा आदि के लिए अगली पीढ़ी भी तो तैयार की जानी है। ओलंपिक के बाद रोजगार के लिए इस में कई और आयाम जुड़ने की संभावना है।
योग और भारतीय चिकित्सा पद्धति
इधर कुछ वर्षों से योग की क्रांति ने स्वास्थ्य और व्यक्तिगत फिट्नेस को विश्व स्तर पर जन-सामान्य केलिए सुलभ और लोकप्रिय क्षेत्र बना दिया। अनेक अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय हस्तियों ने इसे अपनी जीवन-शैली का अंग बनाया और अपने योग अभ्यास संबंधी वीडियोज़ भी बनाए।
बाबा रामदेव के विश्व व्यापी शिविरों ने और अभ्यास के वीडियोज़ ने भी इसे सुलभ और व्यापक और लोकप्रिय बनाया आज स्थान-स्थान पर निजी तौर भी इसके स्वैच्छिक केंद्र चल रहे हैं ।इसे भी स्वस्थ युवक-युवतियाँ ही नहीं सेवा-निवृत्त व्यक्ति भी अपना रहे हैं ।
संगीत आधारित रोजगार
आजकल देश-विदेश में युवाओं में म्यूजिक बैंड बनाने और परफॉर्म करने का ट्रेंड जोर पकड़ता जा रहा है। इस प्रकार के बैंडस में वोकल आर्टिस्ट (गायक) और इंस्टूमैंट्रल आर्टिस्ट (वाद्ययंत्र कलाकार) दोनों का ही समन्वयन होता है। स्कूलों, कॉलेजों और अन्य छोटे स्तरों पर इस प्रकार के सैकड़ों हजारों बैंडस आज अस्तित्व में आ चुके हैं।
अमूमन यही माना जाता है कि संगीत को करियर का आधार बनाकर ज्यादा कुछ करने की संभावनाएं सीमित हो जाती हैं। अगर वास्तविकता के धरातल पर बात करें तो कम से कम आज के संदर्भ में स्थितियां बहुत भिन्न हैं और तमाम नए विकल्प उभरकर सामने आ चुके हैं।
म्यूजिक इंडस्ट्री : इस उद्योग में कई प्रकार के म्यूजिक आधारित प्रोफेशनलों की अहम भूमिका होती है, इनमें विशेष तौर पर म्यूजिक सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर, कंपोजर, म्यूजिशियन, जैसे कार्यकलापों के अलावा म्यूजिक बुक्स की पब्लिशिंग, म्यूजिक अलबम रेकार्डिंग म्यूजिक डीलर, म्यूजिक स्टूडियो के विभिन्न विभागों इत्यादि का उल्लेख किया जा सकता है ।
हस्तलिपि विज्ञान (ग्राफॉलॉजी)
ऐसा ही एक प्रोफेशन है ग्राफोलॉजी। इस प्रकार के एक्सपर्ट का काम हैंडराइटिंग के माध्यम किसी भी व्यक्ति के बुनियादी चरित्र (व्यक्तित्व) को सामने लाना होता है। ये न तो भविष्यवाणी करते हैं और न ही बीते समय के बारे में कोई जानकारी देते। इस कला का उपयोग न सिर्फ स्वयं को समझने में बल्कि अन्य लोगों की सोच, व्यवहार एवं व्यक्तित्व की रूपरेखा को संजोने के लिए भी किया जा सकता है।
इस प्रकार की जानकारियों से अपनी कमियों को जानने एवं उनमें सुधार लाने की दिशा में प्रयास किया जा सकता इसके अलावा सामने आने वाले व्यक्ति के स्वभाव को समझते बूझते हुए उससे बातचीत कर सकारात्मक नतीजे प्राप्त किए जा सकते हैं।हस्ताक्षरों की पहचान करने, जालसाजी या संदिग्ध दस्तावेजों की जांच करने इत्यादि में इनकी अहम भूमिका को आज नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
अपराध तथा हस्तलिपि विज्ञान
अपराध तथा पुलिस फॉरेंसिक तफ्तीश के मामलों में ऐसे जानकारों की सेवाओं का लाभ बड़ी कंपनियां आवेदन पत्रों की छंटनी करने और प्रत्याशियों के मौलिक व्यक्तित्व के बारे में जानकारियाँ हासिल करने में करती हैं।
काउंसलर इस विधा के माध्यम से उपयुक्त राय देने और व्यक्ति को उसमें निहित गुण-दोषों से परिचित कराने का प्रयत्न करते हैं। ऐसे एक्सपर्ट को बाकायदा जांच दल का हिस्सा माना जाता है। अधिकांश विभागों में ऐसे पदों का भी सृजन किया गया है या केस की जरूरत के मुताबिक बाहरी एक्सपर्ट की सेवाएं भी ली जाती हैं।
हैंडराइटिंग किसी भी व्यक्ति को जानने का एक सटीक माध्यम हो सकती है, यही मूलमंत्र है इस प्रकार के विशिष्ट प्रोफेशन का जिससे किसी भी ग्राफोलॉजिस्ट के लिए आपके गुण-दोषों की पहचान करनी मुश्किल नहीं होगी।
अनुसृजन: विदेशी कार्यक्रमों का भाषिक संदर्भ
आज विदेशी चैनल भी हिंदी में कार्यक्रमों की बाध्यता को बखूबी समझते हैं अतः सभी चैनल अपने कार्यक्रमों का हिंदी में अनुसृजन करने की योजना के तहत विभिन्न प्रयास करते नजर आ रहे हैं ।
इसे इस तरह कहा जा सकता है कि हिंदी अनुसृजन में विदेशी कार्यक्रम का मौलिक परिवेश, वेशभूषा , कथानक सभी हिंदी में प्रस्तुत किये जा रहे हैं।यहाँ तक कि शीर्षक गीत ,मुहावरे, लोकप्रिय कथाओं का भी रोचक अनुसृजन हो रहा है। इन विदेशी कार्यक्रमों की हिंदी भारतीय कार्यक्रमों की हिंदी से कई दृष्टियों से अलग है। नई शैली, नई शब्दावली, कोड मिश्रण, कोड अंतरण सभी कुछ अलग तरह का।
यह भी ध्यान रखने योग्य बिंदु है कि इनके भाषांतरित कार्यक्रम अंग्रेजी में भी किसी अन्य विदेशी भाषा से भी भाषांतरित होकर प्रस्तुत किये जाते रहे हैं।
हिंदी के भंडार की श्री-वृद्धि के लिए नए-नए विषय, नए कथानक एवं विधाएं हिंदी की अनेक संभावनाओं के मार्ग प्रशस्त करते हैं और निश्चित ही हिंदी में सृजनात्मकता के रोजगार के एक मौका भी |
रोजगार के नए आयाम:विदेशी कार्यक्रम
डिस्कवरी चैनल , नेशनल ज्याग्राफिकल चैनल , एनीमल प्लैनेट, हिस्ट्री चैनल और फॉक्स ट्रावेलर ही नहीं कई विदेशी चैनल्स पर प्रसारित फिल्में ,कॉर्टून सीरियल्स हिंदी में अनुसृजन के कारण अब लोकप्रिय व्यावसायिक क्षेत्र बन चुके हैं और रोजगार का नया क्षेत्र भी । कुछ चैनल जैसे यूटीवी एक्शन और फ़िरंगी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विदेशी भाषाई फिल्मों को हिंदी में डब करके प्रस्तुत करते हैं ।
हिंदी फिल्मों के अतिरिक्त अन्य भाषाओं में सब टाइटल्स का कार्य भी हमारे संस्थान के कई देशों के युवा छात्रों के लिए ऐसा ही एक रोजगार का क्षेत्र बना हुआ है ।
अनुवाद और अनुसृजन: भारतीय भाषाएँ
अनुवाद और अनुसृजन की अनिवार्यता इन दिनों सभी मनोरंजन और सूचना प्रधान संचार माध्यमों की सामग्री में खास कर सभी भारतीय भाषा की फिल्मों ,विज्ञापनों और अन्य मनोरंजक कार्यक्रमों के हिंदी में प्रसारण के संदर्भ में अनदेखी नहीं की जा सकती । वेब पर फिल्म,गीत और संवाद के अनुवाद के वैयक्तिक और संस्थागत निजी प्रयास हो रहे हैं और हिंदी फिल्मों की प्रादेशिक और वैश्विक भूमिका इसे एक उर्वर कार्यभूमि बना चुकी है।
भारतीय भाषाओं से हिंदी में इस कार्य की माँग उन देशों में भी है जहाँ हमारे अन्य भाषा-भाषी अप्रवासी भारतीय बसे हुए हैं ।
हिंदी कंप्यूटिंग में रोजगार
ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी लेखन ने रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं। आने वाले समय में इसे और बढ़ावा देने की जरूरत है। हिन्दी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी बढ़ रही है।
यूनिकोड के आने से अब हिन्दी में टाइप करना आसान हो गया है। इससे हिन्दी से जुड़े लोगों को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। वैसे देखें तो तरह-तरह अवसर हिन्दी के जानकारों के लिए अच्छे अवसर उपलब्ध करा रहे हैं।
हिन्दी वेब पत्रकारिता ने हिन्दी के कारोबार को अच्छा-खासा बढ़ावा दिया है।दिल्ली के कुछ कॉलेजों में यह विषय लोकप्रिय भी है। आने वाले समय में हिन्दी को वैश्विक भाषा बनाने की दिशा में और काम करने की जरूरत है।
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मंगलवार, 19 जून 2018
लोकार्पण समारोह के चित्र -सुरेंद्र गम्भीर
लोकार्पण समारोह के चित्र- सुरेंद्र गम्भीर अप्रैल 11, 2018 को दिल्ली में आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह के कुछ दृश्य। पुस्तक है भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित प्रवासी भारतीयों में हिन्दी की कहानी। (यह तेरह देशों में हिन्दी के अनुरक्षण, संवर्धन और ह्रास का भाषा-वैज्ञानिक विवरण है) संपादक हैं - डा० सुरेन्द्र गंभीर और डा० वशिनी शर्मा
पुस्तक का लोकार्पण अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद के तत्वावधान में नारायणकुमार जी और श्याम परांडे जी के सान्निध्य में महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति डा० गिरीश्वर मिश्र जी के करकमलों से हुआ।
पुस्तक का लोकार्पण अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद के तत्वावधान में नारायणकुमार जी और श्याम परांडे जी के सान्निध्य में महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति डा० गिरीश्वर मिश्र जी के करकमलों से हुआ।
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