बुधवार, 26 दिसंबर 2007

शिला का अहिल्या होना

शिला का अहिल्या होना

क्या अहिल्या इस युग में नहीं है
पति के क्रोध से शापित ,निर्वासित,निस्स्पंद ,शिलावत
वन नहीं भीड -भाड भरे शहर में , वैभव पूर्ण - विलासी जीवन में
रोज़ रात को मरती है बिस्तर पर अनचाहे संबंधों को जीने को विवश
भरसक नकली मुस्कान और सुखी जीवन का मुखौटा ओढे
एक राम की अनवरत प्रतीक्षा में रत इस अहिल्या को कौन जानता है?
उस अहिल्या को कम से कम यह तो पता था कि आयेंगे राम
अनंत प्रतीक्षारत शिला को अपने स्पर्श से बदलेंगे अहिल्या में
लौटेगी अपने पति के पास नया जीवन पाकर हर्षितमना
सब कुछ होगा पहले-सा ,कुटी भी ,पति-परमेश्वर भी

पर क्या ये अहिल्या चाहेगी लौटना अपने उस पति के पास
दिया जिसने शापित जीवन निर्दोष , निरपराध नारी को
क्या सब कुछ भूल कर अपनायेगी उस पति को
जो हो सकता है फिर से दे दे शापित जीवन का उपहार
तब कहाँ से पायेगी उद्धार का एक और अवसर राम के बिना

पर यक्ष-प्रश्न तब नहीं उठा तो क्या आज अब नहीं उठेगा
कि आज की ये अहिल्या अकेली भी तो रह सकती है
क्योंकि राम को तो आगे और आगे दूर तक जाना है
जहाँ न जाने कितनी शिलाएँ प्रतीक्षारत हैं अहिल्या होने को
आज के नये राम को भी तो आगे और आगे जाना है दूर तक
भले ही इसे कामोन्मत्त शूर्पनखा का दर्प-दमन भी करना न हो
अशोक वाटिका की बंदिनी सीता को रावण से मुक्त कराना भी न हो
लौट कर अयोध्या सीता को फिर से शंकित पति की तरह त्यागना भी न हो

तो यक्ष- प्रश्न अब भी है कि अहिल्या का उद्धार हुआ तो क्या हुआ?
सीता रावण की अशोक-वाटिका से मुक्त हुई भी तो क्या भला हुआ?
लव-कुश तो फिर भी बिना पिता के ही आश्रम में पलने को विवश हुए
अंतिम सत्य तो यही है कि हर युग में राम की नियति है वह सब करने की
और अहिल्या और सीता की नियति है फिर फिर उसी जीवन में लौट जाने की

वशिनी शर्मा
वर्जिनीया,2007

13-15,जुलाई,2007 को न्यूयॉर्क में आयोजित आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रस्तुत आलेख

13-15,जुलाई,2007 को न्यूयॉर्क में आयोजित आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रस्तुत आलेख

सत्र-4
हिंदी के प्रचार-प्रसार में सूचना प्रौद्योगिकी का योगदान


हिंदी के ई-लर्निंग के लिए वेब-आधारित पाठ्यक्रमों की स्थिति एवं संभावनाएँ
(Status and the Possibilities of Web-courses for E-learning of Hindi)
प्रो.वशिनी शर्मा
पूर्व प्रोफेसर भाषा प्रौद्योगिकी विभाग
केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नित नवीन क्रांति के फलस्वरूप भाषा शिक्षण और भाषा-अधिगम को नया रूप मिला है, जिसमें ई-लर्निंग के माध्यम के रूप में सी.डी. पैकेज, वेब आधारित पाठ्यक्रम और वर्चुअल क्लासरूम की प्रमुख भूमिका है. विदेशी भाषा शिक्षण के क्षेत्र में वेब आधारित पाठ्यक्रमों की आवश्यकता और उपयोगिता अब समय की माँग है, जिसे टाला नहीं जा सकता. वैसे देश-विदेश में इस दिशा में विभिन्न संस्थाओं द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे हैं,जिनका संक्षिप्त विवरण इस आलेख में देने की कोशिश की गई है. वेब पर हिन्दी के और ई-लर्निंग और ई-टीचिंग के लिए उपलब्ध पाठ्यक्रमों की यदि समीक्षा की जाए तो हम पाएँगे कि इस प्रकार के पाठ्यक्रम मुख्यतः अमरीका, आस्ट्रेलिया और यू.के. जैसे विकसित देशों में ही चलाए जा रहे हैं ( परिशिष्ट-1 ).
वेब पर उपलब्ध शिक्षण कार्यक्रम ऑनलाइन शिक्षण, आभासी (Virtual) शिक्षण, इंटरनेट आधारित शिक्षण और वेब आधारित शिक्षण नाम से प्रचलित हैं. वस्तुतः वेब पाठ्यक्रम मूलतः और अनिवार्यतः दूरस्थ (distant) शिक्षण कार्यक्रम हैं. इसमें भौगोलिक सीमाएँ नहीं होती हैं.यद्यपि वेब आधारित होने के कारण कंप्यूटर आदि तकनीकी साधनों की उपलब्धता और उनकी जानकारी शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों ही स्तर पर अपेक्षित होती है. वेब पाठ्यक्रम के अंतर्गत संचार साधनों के रूप में इंटरनेट, ई-मेल, चर्चा/बुलेटिन बोर्ड, चैट रूम आदि का उपयोग होता है वीडियो/ग्राफिक/एनीमेशन जैसे मल्टीमीडिया साधनों के उपयोग से वेब पाठ्यक्रमों को अधिक रोचक, आकर्षक और इंटरेक्टिव बनाया जा सकता है. इसमें छात्रों की अपनी रुचि एवं गति के आधार पर अध्ययन संभव होता है.
किसी भी वेब पाठ्यक्रम या सॉफ़्टवेयर पैकेज में सामग्री के चयन, नियोजन और प्रस्तुतीकरण में एक ऐसी प्रणाली विकसित करने की जरूरत पड़ती है जो कंप्यूटर के परिवेश में अधिक से अधिक इंटरएक्टिव हो और जिसमें हर कदम पर प्रयोक्ता की प्रतिभागिता जुड़ी हो . वेब आधारित शिक्षण के आगमन के बाद भाषा शिक्षण के साथ टेक्नोलॉजी के जुड़ जाने से शिक्षण और अधिगम प्रक्रिया में विश्वव्यापकता आई है, मल्टीमीडिया का प्रवेश हुआ है और इसप्रकार एक नई प्रकार की प्रणाली का सूत्रपात हुआ है. इसके साथ ही वेब के जरिए भाषा सीखना भी अब पहले के मुकाबले बहुत आसान और सुलभ हो गया है.जहाँ एक ओर शिक्षकों को कक्षा में पढाने के झंझट और रोज़ –रोज़ गृहकार्य देने और जाँचने के. बोझिल और उबाऊ काम से मुक्ति मिलेगी,वहीं छात्र भी कक्षा के एकरस और एकतरफा शिक्षण से, भारी- भारी बस्ते से और कभी न खत्म होने वाले गृहकार्य से बच जाएँगे.
.
भारत में “वेब–लीला हिंदी” नाम से ऐसा मल्टीमीडिया वेब पाठ्यक्रम विकसित किया गया है, जिसमें ई-शिक्षण के सभी विकसित फीचर मौजूद हैं. इस पाठ्यक्रम की शिक्षण सामग्री का निर्माण प्रो. सूरज भान सिंह द्वारा किया गया है और इसका तकनीकी निर्देशन सी-डैक के तकनीकी विशेषज्ञ डॉ. हेमंत दरबारी ने किया है. पिछले वर्ष टोक्यो में आयोजित क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलन में प्रस्तुत अपने आलेख में प्रो.सूरजभान सिंह ने इसकी कुछ प्रमुख विशेषताओं को रेखांकित किया था. उनके अनुसार किसी भी वेब-आधारित पाठ्यक्रम को प्रयोक्ता-सहज (यूज़र-फेंडली) और मुक्त नेविगेशन की सुविधा युक्त होना चाहिए. तदनुसार इस पाठ्यक्रम में वेब के किसी भी पृष्ठ पर काम करते हुए माउस पर क्लिक करते ही तुरंत पूरे पाठ्यक्रम में कहीं भी किसी भी पृष्ठ पर पहुँचा जा सकता है.इन पाठों को कंप्यूटर स्क्रीन पर पढ़ने के साथ ही उनका उच्चारण भी सुना जा सकता है और वीडियो भी देखा जा सकता है.इस सारी प्रक्रिया के दौरान बोले गए अंश मूल पाठ में अलग–अलग रंग में अंकित होते जाते हैं जिससे आवाज़ और टेक्स्ट का मिलान भी साथ-साथ किया जा सकता है. इच्छित वाक्यांश या दृश्य को एक बटन क्लिक कर रीप्ले किया जा सकता है. इतना ही नहीं, शब्दार्थ और व्याकरणिक सूचनाएँ भी प्राप्त की जा सकती हैं. माउस ओवर विधि से अंग्रेजी अनुवाद भी देखा जा सकता है (सूरजभान सिंह,2006)
ई –लर्निंग के संदर्भ में अध्ययन-अध्यापन के महत्वपू्र्ण बिंदु
1 अंत:क्रियात्मकता (Interactiveness)
· छात्रों को शिक्षक की ऑनलाइन पर उपलब्धता की सूचना
· ऑनलाइन वाद-विवाद और विषय विश्लेषण का अवसर
·
· अंत:क्रियात्मकता - छात्रों के साथ और छात्रों के बीच
2 तैयारी (Preparation)
· इंटरनेट से जुड़ने की सुविधा
· प्रशिक्षण और शिक्षण कार्य में ऑनलाइन –ऑनगोइंग तकनीकी सहायता अबाधित एवं सतत रूप से छात्रों और शिक्षकों को देते रहने का प्रयास
· शिक्षण सामग्री को अद्यतन बनाना
· विषय सामग्री को ऑनलाइन पर भेजने की तैयारी

3 छात्रों की भूमिका
-अंत:क्रियात्मकता
-भाषा शिक्षण पर अधिकार पाना
-आत्म-निर्भर होना
-संकोची छात्रों को अपनी शंकाओं के समाधान के उचित अवसर देना
- सामूहिक या वर्गों में अध्ययन के अवसर पाना
4 ई-लर्निंग के सफल प्रयोग के लिए दो प्रमुख तत्वों की आवश्यकता होती है:
4.1 कक्षा का प्रारूप (Architecture of the Class)
4.2 छात्र-समुदाय (Learner’s Community)
: ई-लर्निंग एक दृश्यात्मक कक्षा (Virtual Classroom) पर आधारित है,जहाँ शिक्षक ऑनलाइन पाठ्यक्रम के प्रारूप व निर्माण तथा अन्य संबंधित सामग्रियों के संकलन पर ध्यान केंद्रित करता है वहाँ तकनीकी वेब-डिजाइनर, प्रोग्रामर आदि शिक्षा – प्रौद्योगिकी में भाग लेने की तैयारियाँ करते हैं.
वेब- पाठ्यक्रम
o एक वेब –पाठ्यक्रम केवल पाठ्य पुस्तक ,वेब और शिक्षक से ही जुडा हुआ नहीं है.
o इसमें इंटरनेट का उपयोग दूरस्थ शिक्षण के लिए किया जाता है.
o छात्र और शिक्षक के बीच ई-मेल ,वेब साइट और वेब चैट–रूम द्वारा अंत:क्रिया की जाती है .
o ज्ञान को तथ्यपरक आधार दिया जाता है और उसे शैक्षिक उद्देश्य प्राप्ति के अनुकूल बनाया जाता है.
o
o ई-लर्निंग उन छात्रों को पढ़ने के अवसर प्रदान करता है जो अपने कई प्रतिबंधों और विवशताओं के कारण कक्षा के वातावरण में नहीं पढ़ पाते.
o वेब सामग्री और वेब पृष्ठों को अद्यतन किया जाता है ताकि सूचनाओं की प्रामाणिकता बनी रहे.
o संबद्ध लिंक्स और संदर्भित सूची उपलब्ध कराई जाती है, ताकि भाषा शिक्षण को अधिक बल मिले.
o
o ऑनलाइन पर जानेवाली दृश्य-सामग्री को आवश्यकतानुसार रीसाइज किया जाता है.
o अपनी ऑनलाइन- सामग्री के प्रयोग को स्वयं मॉनीटर करना होता है ताकि छात्रों की कठिनाइयों को टैब किया जा सके; जैसे किसी सामग्री विशेष पर लगातार हिट्स का मिलना.
o शिक्षण सामग्री (पाठ, गृहकार्य, वाचन (रीडिंग्स) की ऑनलाइन पोस्टिंग समय रहते कर देनी चाहिए जिससे एक जगह स्थिर न रहनेवाले छात्रों को भी समय पर सामग्री मिल सके.
o ‘इलेक्ट्रॉनिक रिज़र्व सर्विस‘ की सुविधा,जिसमें कुछ पुस्तकालय अपनी रीडिंग्स को ऑनलाइन पोस्ट करते हैं .

ई-ल्रर्निंग और कक्षा शिक्षण में अंतर

ई-ल्रर्निंग शिक्षण
कक्षा में शिक्षण
1.0
लचीलापन
स्थिरता
2.0
व्यक्तिगत अपेक्षा
सामूहिकता
3.0
शिक्षक और छात्र दोनों ही स्तरों पर कंप्यूटर संबंधी ज्ञान अपेक्षित
अपेक्षित नहीं
4.0
कंप्यूटर,वेब आदि बुनियादी ढाँचा अपेक्षित
अपेक्षित नहीं
5.0
इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन/ ऑफ़लाइन लिंक
श्रव्य-दृश्य सामग्री जैसे संसाधन जुटाए जा सकते हैं
6.0
ऑनलाइन सीखना-सिखाना
कक्षा में ,प्रत्यक्षीकरण द्वारा
7.0
व्यक्तिगत स्तर पर छात्र की सुविधा और गति (पेस) के अनुसार सीखने के अवसर
सामूहिकता में व्यक्तिगत अक्षमता की अनदेखी
8.0
छात्र से शिक्षक के संपर्क के अवसर

8.1
अकेले (One only)
अधिकतर समूह में ही
8.2
एक से एक के साथ (One to One)
कभी- कभी जिज्ञासा या प्रश्नोत्तर के अवसर
8.3
एक से अनेक के साथ (One To Many )

8.4
अनेक से अनेक के साथ (Many to Many)

9
शिक्षण युक्तियाँ (Teaching Devices)

9.1
वेब से सूचना प्राप्ति (Information Retrieval
शिक्षण के संसाधन (Resources) मुद्रित सामग्री ,हैंड आउट ,चित्र, टेप
9.2
सूचना( इन्फार्मेशन रीट्रीवल)व्यवस्था

9.3
ई-मेल और उसके संलग्नक का उपयोग
पाठ(Text),वाक् (Speech), ग्राफिक,दृश्य
.एनीमेटेड फाइल

9.4
बुलेटिन बोर्ड, नोटिस बोर्ड
नोटिस बोर्ड
10
शिक्षण सामग्री (Teaching Material)

10.1
स्थिर सामग्री (Static)- पी.डी.एफ. रूप में
मुद्रित, चक्रमुद्रित
10.2
गतिशील (Dynamic)- आवश्यकतानुसार समय -समय पर क्रमिक रूप में अद्यतन ,संशोधित, परिवर्धित, विकसित

10.3
अंत:क्रियात्मक (Interactive) छात्र- शिक्षक के स्तर पर ,वेब पर छात्रों के बीच

10.4
समय- समय पर छात्र द्वारा प्राप्त फीडबैक
सामग्री के आधार पर शिक्षण सामग्री में संशोधन, परिवर्धन
स्थिर शिक्षण सामग्री
10.5
शिक्षण सामग्री के अनुरूप तकनीक में परिवर्तन
स्थिर शिक्षण तकनीक
10.6
छात्र द्वारा अर्जित योग्यता और क्षमता के अनुसार अगले पाठों तक पहुँच की सुविधा ,बीच में निकलने की या एक्जिट की सुविधा
कोई सुविधा नहीं
11.0
स्वतःमूल्यांकन (Self Assessment)

11.1
स्वतः और हर स्तर पर अवसर
अवसर नहीं

ऑनलाइन पाठ्यक्रम निर्माण की रूपरेखा
किसी ऑनलाइन पाठ्यक्रम की रूपरेखा के बिना यह संभव नहीं है कि किसी भाषाशिक्षण के कार्यक्रम की परिकल्पना की जा सके .अतः माइक्रोसाफ्ट के माइंडफ्लैश (MindFlash) नामक ऑथरिंग सिस्टम के आधार पर एक पाठ्यक्रम के निर्माण की चर्चा की जा सकती है. जो विद्यालयों,शैक्षिक संस्थाओं और विषयवस्तु का विकास करने वालों के लिए उपयोगी है (परिशिष्ट-2) .
इस ऑथरिंग सिस्टम की प्रमुख विशेषताएँ ये हैं—
· इसकी सहायता से किसी भी विषयवस्तु ,फाइल को पाठ्यक्रम का रूप दिया जा सकता है.
· हम वर्ड डॉक्युमेंट,फ्लैश- फाइल ,पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन, ऑडियो फाइल,
वीडियो फाइल, एच टी एम एल या किसी भी अन्य सामग्री को अपलोड या
मिक्स कर सकते हैं.
o कोर्स इंटरफेस को अनुकूलित या कस्टमाइज़ कर सकते हैं.
o
o कोर्स कंटेंट को मिला सकते हैं.
o
o पाठ्यक्रम की जरूरतों को सेट कर सकते हैं;जैसे पाठ्यक्रम की अवधि , पासिंग स्कोर,पूर्व और पर परीक्षण आदि.
o
o सर्वेक्षण और प्रश्नोत्तरी (क्विज़) का निर्माण कर सकते हैं.
o
o बहुविकल्पीय प्रतिक्रिया प्राप्त की जा सकती हैं
o
o डैग और ड्राप की सुविधा संभव है.
o
o माइंडफ्लैश टेक्नोलॉजी द्वारा ऑनलाइन ई-लर्निंग का ऑनलाइन प्रशिक्षण पाठ्यकम कम समय में ही तैयार किए जा सकते हैं.
o
o सतत शिक्षा (Continuing Education ) के कार्यक्रम में उपयोगी है.
o
o छात्रों के साथ संप्रेषणीयता की सुविधा – बुलेटिन बोर्ड और वर्चुअल मीटिंग द्वारा
o प्रगति का मूल्यांकन और रिपोर्ट तैयार की जा सकती है
इस ऑथरिंग सिस्टम के कोर्स बिल्डर कार्यक्रम से मैंने वर्चुअल हिंदी की एक कहानी का पाठ तैयार किया, जिसमें उपरोक्त सभी संभावनाओं को देखा गया.
एक अन्य कार्यक्रम वर्ड चैम्प ( WORDChamp) की भी चर्चा की जा सकती है,जो वेब से हिंदी भाषा-शिक्षण का अच्छा आधार प्रस्तुत करता है (परिशिष्ट-3).इसमें कई भाषाओं में से किसी एक में अपने नाम से ल़ॉग-इन करके प्रवेश लेने के बाद एक कोड नंबर दिया जाता है . कक्षा विवरण (Class Details) में अंग्रेजी और हिंदी- द्विभाषी माध्यम द्वारा भाषा शिक्षण की सुविधा भी है. कहानी की विधा का चयन करने के बाद कक्षा प्रारंभ होने की और कक्षा समाप्ति की तिथि दी जाती है .इसी पेज पर कोर्स में लौटने या प्रबंधन स्क्रीन (Management Screen) पर जाने की भी सुविधा है. छात्रों के लिए गृह- कार्य (होमवर्क असाइनमेंट) के पाँच चरणों में से किसी एक के चयन का भी अवसर है.
साथ ही अध्यापक कक्षा-प्रबंधन भी कर सकता है.मैंने उदाहरण के लिए रिश्ते-नाते की (Kinship Terms) शब्दावली को फ्लैशकार्ड के अभ्यास के लिए चुना. इसी तरह हिंदी धारावाहिकों,फिल्मों के गीत ,संवाद, कथानक आदि की संप्रेषणीयता पर भी कार्य किया जा सकता है . केंद्रीय हिंदी संस्थान ,आगरा में विदेशी भाषा के रूप में हिंदी-शिक्षण के दौरान सूचना एवं भाषा प्रौद्योगिकी विभाग में इस तरह के कई प्रयास करने के अवसर मुझे मिले. आजकल वेब पर हिंदी फिल्मों और गीतों के कई साइट्स मिल रहे हैं और देश-विदेश के कई विश्वविद्यालय और संस्थाएँ भी इस क्षेत्र में कार्यरत हैं .(देखें- परिशिष्ट -4) मास्को और टोक्यो में आयजित क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलनों में इस तरह के कुछ प्रयासों ने विद्वानों में भी उत्सुकता और आशा का संचार किया. मुझे आशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास है कि प्रौद्योगिकी के इस नए दौर में हिंदी भाषा के कई भावी पाठ्यक्रम वेब आधारित भी होंगे .
परिशिष्ट में प्रतिभागियों की सूचना के लिए विश्व भर के 19 विश्वविद्यालयों और संस्थाओं की सूची और उनके हिंदी के ई-लर्निंग संबंधी पाठ्यक्रमों की संक्षिप्त रूपरेखा दी गई है.
............
परिशिष्ट
विश्व भर के उन 19 विश्वविद्यालयों और संस्थाओं की सूची, जिनमें हिंदी के ई-लर्निंग संबंधी पाठ्यक्रमों की व्यवस्था है या जिनकी सहायता से यह सामग्री निर्मित की जा सकती है.
S.No.
CourseTitle
Institution
URL
Features
Web-LILA
CDAC,PUNE
http://www.cdac.in/html/aai/weblila.asp
Interactive / user friendly / multimedia based self-tutoring package
Hindi Program at Penn
University of Pennsylvania, USA
http://philae.sas.upenn.edu/Hindi/hindi.htm
Audio /video and images from northern India.
Hindi language & literature
University of Washington, USA
www.washington.edu/students/crscat/hindi.html

Hindi lessons
Syracuse University, USA
http://syllabus.syr.edu/hin/
Lessons for learning the alphabet, numbers and basic grammar and vocabulary..
Hindi language studies
La Trobe University, Australia
www.latrobe.edu.au/indiangallery/default.htm
Hindi Script and Dictionary
Mentored Hindi and Supervised Urdu Courses
University of Massachusetts Amherst, USA
www.umass.edu/fclang/mentored_hindi.html
Mentored Program Application
Hindi - Urdu Course
University of Oregon Yamada, USA
http://babel.uoregon.edu/yamada/guides/hindiurdu.html
Virtual Language Lab
Hindi Language Studies
The Australian National University
www.anu.edu.au/asianstudies/hindi/
To provide students with the skills necessary to communicate in spoken Hindi as well as to read a wide range of materials written in Hindi, including novels, newspapers and scholarly works.
Hindi language and literature
Iowa, USA
www.uiowa.edu/~asian/southasia.html
Hindi Language and literature
Hindi Learner Faster
WORDCHAMP
http://wordchamp.com/lingua2/Browse.do
Basic Vocabulary, Food, People and Work in Hindi
Learn Hindi
LANGUAGEHOME
www.languageshome.com/english-hindi.htm
Basic Vocabulary and sentences in Hindi
Hindi Guru: a multimedia Hindi Teacher
Magic Software
www.gy.com/www/ww1/ww2/sara41.htm
A multimedia Hindi Teacher through animated, real-life situations encountered on a trip to India for beginners and familiar users alike. Guru teaches naturally, the way you learnt your first language.
Welcome to Hindi world
Tokyo University of Foreign Studies ILCAA
http://www.aa.tufs.ac.jp/digital_e.html#seasia

Learn Hindi language Free Conversational Hindi Lessons-online

http://www.phrasebase.com/english

Virtual Hindi
University of New york
http://www.nyu.edulgsas/dept/mideast/hindi

Devdas
Bharatvani Hindi Teacher
http://www.languageshome.com

MITRMy friend
Bharatvani Hindi Teacher
http://www.languageshome.com

Learning Hindi thru Hindi songs
Bharatvani Hindi Teacher
http://www.languageshome.com

World_Nomads_
World_Nomads
http://www.worldnomads.com

कविता.कॉम

www.kavita.com

ललित कुमार जी का हिंदी कविता का अनूठा ब्लॉग

मंगलवार, 18 दिसंबर 2007

रविवार, 16 दिसंबर 2007

स्वागत है

यादों के इस चिट्ठेनामा में आपका स्वागत है!