khs programme in ICCR 24 nov.2010 |
शुक्रवार, 26 नवंबर 2010
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मैं क्या हूँ /जन्म लेना और पलना मेरे हाथ में नहीं था / पर खूब प्यार से पली /कोई दुख -दर्द नहीं /एक प्रेमिल मन के हाथों आँचल इतना भरा कि सब कुछ भीग गया /लिखना कम पढना अधिक /साहित्य से अच्छे पाठक का नाता बना रहा / अभी भी बना हुआ है/ नारी मन को समझने का प्रयास मात्र /और क्या --
1 टिप्पणी:
चित्रों को देख कर लगता है कार्यक्रम अवश्य ही भ्व्य रहा होगा । साथ में एक छोटी सी रिपोर्ट होती तो और अच्छा रहता ।
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